he Four Agreements Book…

क्या आपने कभी यह महसूस किया है कि आप किसी कैद में रह रहे हों? क्या आप कभी कभी कुछ अलग काम करना चाहते हैं लेकिन “लोग क्या कहेंगे” सोचकर रुक जाते हैं? क्या आप समाज की ज़रूरतों के हिसाब से अपनी जिन्दगी जीते हैं?
अगर ऊपर के सभी सवालों का जवाब हाँ है तो आज की यह विडियो आपके ही लिए है, तो दोस्तों स्वागत है आपका डिजिटल आवाज की सीरीज, शुक्र है किताबे हैं में, तो विडियो को बिना स्किप करे अंत तक देखते रहिये, चलिए विडियो शुरू करते हैं –

क्या आपको याद है कि बचपन में जब आपने अपने पैरेंट्स की बात मानी थी तब आपको शाबाशी मिली थी? क्या आपको याद है कि जब आपने उनकी बात मानने से इंकार किया था तो आपको सजा मिली थी?
हम में से ज्यादातर लोगों के साथ ऐसा ही होता है। हमें बचपन से ही बेड़ियों में जकड़ कर रखा जाता है और बताया जाता है कि क्या करना है और क्या नहीं करना है। धीरे धीरे ये सभी बातें हमारे दिमाग में कुछ इस तरह से बैठ जाती हैं कि बड़े होने पर भी हम उन बातों को मानते रहते हैं।
हम में से हर किसी को ईनाम और तारीफें पसंद हैं। बचपन में जब भी हम कोई अच्छा काम करते थे तब हमें ये दोनों चीजें मिलती थी। इसके साथ ही सजा से डर सभी को लगता है। इसलिए हम दो काम करने से डरते थे जिसके लिए हमें मना किया जाता था।
इन सभी बातों का नतीजा यह निकला कि हमें वो बना दिया गया जो हम नहीं हैं। हमें एक साँचे में ढ़ाल दिया गया और समय के साथ हम उसी आकार के हो गए। अब जब हम बड़े हो गए हैं और हमें कोई कंट्रोल नहीं कर रहा तब भी हम खुद ही उस आकार को बनाए रखने की कोशिश करते हैं ।
हमने अपने लिए ये नीयम नहीं चुने थे। ये नीयम हम पर जबरदस्ती लागू किए गए थे। बचपन से बड़े होने के सफर में हमें ना जाने कितनी तरह से कैद कर के रखा गया था। अब वक्त आ गया है कि हम उस कैद से आजाद हों।
आपके शब्द आपको खुद पर और दूसरों पर जीत हासिल करने में मदद कर सकते हैं।
शब्दों का हमारी जिन्दगी में बहुत महत्व होता है। अगर हम इसका सही इस्तेमाल करें तो ये हमें काफी हद तक फायदा पहुंचा सकता है। साथ ही में इसका गलत इस्तेमाल हमारे आत्म विश्वास को तोड़कर हमें कमजोर बना सकता है।
एक्ज़ाम्पल के लिए अगर आप अपने आप को आईने में देखकर ये सोचें कि आप बदसूरत लगते हैं तो आप अपना आत्म विश्वास खो देंगे और लोगों के सामने आने जाने से या उनसे बात करने में हिचकिचाएँगे। लेकिन अगर आप सोचें कि आप बहुत अच्छे दिखते हैं तो आप कहीं भी जाकर किसी से भी बात करने में नहीं हिचकिचाएँगे।
शब्दों की ताकत शरीर की ताकत से ज्यादा होती है। आप अपनी ताकत से लोगों पर बाहर से राज कर सकते हैं लेकिन अपने शब्दों की ताकत का इस्तेमाल कर आप लोगों के मन पर राज कर सकते हैं। अच्छे शब्दों से आपको इज्जत मिलेगी और इसके इस्तेमाल से आप लोगों से अपनी बात मनवा भी सकते हैं।
आप शब्दों के इस्तेमाल से किसी और का भी हौसला बढ़ा सकते हैं। अगर आप किसी से कहें कि वो यह अपना काम बहुत अच्छे से कर सकता है और उसे अपना काम मेहनत से करना चाहिए तो वो मेहनत जरूर करेगा। लेकिन अगर आप उससे कहें कि वो इस काम को कभी ढंग से नहीं कर पाएगा तो उसका भी आत्म विश्वास टूट जाएगा और वो वाकई अपना काम कभी सही से नहीं कर पाएगा।
इसलिए ये जरूरी है कि आप अपने शब्दों का इस्तेमाल सही तरह से करें। आप इसके इस्तेमाल से सबके दिलों पर राज कर सकते हैं और साथ ही अपना आत्म विश्वास भी बढ़ा सकते हैं।
हम अक्सर अपने आप को उस तरह से देखने लगते हैं जैसा लोग हमें मानते हैं। जैसे अगर किसी ने आप से स्कूल के दिनों में कहा होगा कि आप पढ़ने में बिल्कुल अच्छे नहीं हैं तो आप के अंदर यह भावना आ गई होगी कि आप स्मार्ट नहीं हैं। ठीक उसी तरह अगर आप से किसी ने कहा होता कि आप बहुत स्मार्ट हैं तो आप अपने आप को स्मार्ट समझने लगते।
हम हमेशा ही अपने आप को दूसरों की ज़रूरतों के हिसाब से ढ़ालने की कोशिश करते हैं। अगर लोग हमसे कहने लगें कि हम मोटे हो गए हैं तो हम अपना वजन कम करने में लग जाते हैं। लेकिन क्या यह जिन्दगी आपको दूसरों की शर्तों पर जीने के लिए मिली थी? क्या आपने पैदा होने के बाद कोई एग्रीमेंट साइन किया था जिसमें आपने ये कबूल किया था कि आप हमेशा दूसरों के हिसाब से जीयेंगे?

अब वक्त आ गया है कि आप अपने बारे में जाने और खुद को दूसरों के स्केल से नापना बंद करें। अगर कोई आप पर एक ऊँगली उठाता है तो आप देखिए कि तीन ऊँगलियाँ उसकी तरफ हैं। इसका मतलब वो आपके बारे में कम और अपने बारे में ज्यादा बता रहा है।
लोग अपनी सोच और अपने मूड के हिसाब से आपके बारे में अच्छी या बुरी बातें करेंगे। अगर आपके दोस्त का मूड अच्छा है तो वो आपकी तारीफ करेगा लेकिन अगर उसका मूड खराब है तो वो आप में बुराइयाँ निकालने लगेगा। ठीक उसी तरह अगर कोई आप से कहता है कि आप यह काम नहीं कर पाएंगे तो यह उसका मानना है कि आप नहीं कर पाएंगे और जरूरी नहीं है कि वो जो मानता है वो सच ही हो ।
हमारे बचपन से ही हम अपनी जिन्दगी को दूसरों के हिसाब से जीते आ रहे हैं। हमारी खुशी और आजादी से ज्यादा जरूरी है “लोग क्या सोचेंगे”। अगर आप वाकई अपनी जिन्दगी सुकून से जीना चाहते हैं तो आपको समाज की सीमाओं को तोड़ना होगा जिससे आप अपनी असली ताकत को पहचान सकें और अपनी जिन्दगी अपने हिसाब से जी सकें ।
बहुत सारे लोग ना जाने कितनी बेड़ियों से बंधे होते हैं। अब वक्त आ गया है कि आप उनमें से एक को तोड़ दें। अगर आप से कहा गया है कि आपको रात में कहीं बाहर नहीं जाना है तो आप एक दिन बस ऐसे ही बाहर चले जाइए। आप अपने रास्ते की रुकावटों को तोड़कर अपने आप को आजाद कीजिए।

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