आपके एक वोट की ताकत

कंटेंट – यदि आप वोट नहीं देने की सोच रहे हैं या यह मान रहे हैं कि एक वोट नहीं देने से क्या फर्क पड़ेगा तो राजनीति के ये तीन उदाहरण देख लीजिए, जब महज एक वोट के कारण सरकार तक गिर गई। इसलिए मतदान के दिन सबसे पहला काम वोट देने का ही करें।

1999 : जब अटल को छोड़ना पड़ा पीएम पद
केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की गठबंधन सरकार थी। सरकार बने 13 महीने ही बीते थे कि सहयोगी दल एआईएडीएमके ने समर्थन वापस ले लिया। सरकार को सदन में विश्वास मत साबित करना पड़ा। जिसमें पक्ष में 269 और विपक्ष में 270 वोट पड़े। महज एक वोट के कारण वाजपेयी सरकार गिर गई।

2004 : जब एक वोट से विधायक नहीं बन पाए
कनार्टक में विधानसभा चुनाव थे। जेडीएस के एआर कृष्णमूर्ति मैदान में थे। उन्हें 40751 वोट मिले जबकि उनके सामने कांग्रेस के आर. ध्रुव नारायण को 40752 वोट मिले। कृष्णमूर्ति एक वोट से हार गए। इसमें दिलचस्प कहानी ये है कि उनके ड्राइवर को छुट्टी नहीं मिली थी और वह वोट नहीं डाल सका था।
भागी

2008 : जब एक वोट ने सीएम बनने से रोका
राजस्थान में विधानसभा चुनाव थे। नाथद्वारा से कांग्रेस के सीपी जोशी मैदान में थे। उन्हें 62215 वोट मिले जबकि उनके सामने भाजपा के कल्याणसिंह को 62216 वोट मिले। सीपी जोशी एक वोट से हार गए। यह हार इसलिए भी मायने रखती थी कि जोशी उस वक्त सीएम पद के बड़े दावेदार थे और कहा गया कि इस हार के कारण वे सीएम बनते बनते रह गए।

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