Ep – 20 || Getting To Yes || Book

आज की बुक आपको बताएगी कि किस तरह से आप बिना कुछ नुकसान सहे, किसी भी चीज को लेकर मोलभाव करते हुए खुद के लिए फायदे का सौदा तय कर पाएंगे।

आज शायद इस बात पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल होगा कि पहले किसी भी तरह के फैसले को लेने से पहले शायद ही कोई बैठकर उस बारे में बात करता था। फिर चाहे फैसले घर के हों, या फिर बिजनेस से जुड़े हों।
पहले किसी भी चीज को लेकर सिर्फ एक ही व्यक्ति अपना फैसला सुना देता था और बाकी के सब चुपचाप उसको मान लेते थे। घर में अक्सर बड़े बुजुर्ग जो कह देते थे सब उस पर ही आँख मूंद कर यकीन करते थे और वो सर्वमान्य हो जाता था।
ठीक इसी तरह कंपनी में जो सबसे सीनियर बॉस होता था, उसके अकेले के ही फैसले पर पूरी कम्पनी चला करती थी। ऐसा नहीं है की इस तरह से बूढ़े बुजुर्गों के लिये हुए फैसले गलत ही होते थे, लेकिन किसी भी फैसले को लेने से पहले सबका राय और मशविरा लेना जरूरी होता है।
आज के समय में यही चीज बदलती हुई दिख रही है। अब किसी भी स्तर पर कोई भी फैसला लेने से पहले लोग काफ़ी सोच विचार और बातचीत करते हैं सबकी राय सुनते हैं और फिर जिस पर सबकी सहमति बनती है उसी फैसले को सब स्वीकार करते हैं।

तो ऐसे समय पर मोलभाव करते समय किस बात का ध्यान रखना है आइये जानते है –

व्यर्थ की बहस से बचें, इसमें सिर्फ आपका नुकसान ही होगा
ये बात हमेशा ध्यान में रखें कि आप “इंसानों” के साथ मोलभाव कर रहे हैं।
समस्या से लड़िये, ना कि उस इंसान से जिसके साथ आप मोलभाव करने जा रहे हैं।
किसी भी समस्या का हल निकालने से पहले दोनों पक्षों की इच्छा जरूर जान लीजिए।
समस्या का पूर्ण हल निकालने से पहले उसके विकल्पों पर भी जरूर ध्यान दें।
हमेशा अपने निर्णय को लेने के पीछे एक मजबूत कारण रखिये।
अच्छा मोल भाव करने के लिए आपको पहले से ही तैयार रहना होगा।
मोल भाव सिर्फ बातचीत है: इस बातचीत को ध्यान से सुनें और जो फैक्ट है उसी पर टिके रहें!
सबसे बेहतर तरीका भी सफलता की पूरी गारंटी नहीं दे सकता।

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