Ep-14 || बच्चे की साइकोलॉजी…

बच्चे की साइकोलॉजी समझना माता—पिता के लिये हमेशा ही मुश्किल का काम रहा है. बच्चों का मनोविज्ञान समझने में बहुत बारीक डिसकवरी की जरूरत है. विख्यात मनोवैज्ञानिक सिगमंड फ्राॅयड ने कहा कि है कि बच्चे प्रारम्भ में स्वाभाविक इच्छाओं से प्रभावित होते हैं, मगर धीरे-धीरे अपने माता-पिता की आदतों के अनुसार वास्तविक दृष्टिकोण को अपनाने लगते हैं.  
बच्चे की छोटी-छोटी आदतों और हरकतों का आब्जर्वेशन कर आप बच्चे की साइकोलॉजी को जान सकते हैं.
निगरानी रखना बच्चे की साइकोलाॅजी को जानने का सबसे साधारण और बेहतर तरीका है. बच्चा जो करता है और कहता है उसमें रूचि दिखाएं. जब आपका बच्चा खाता है, सोता है और खेलता है तब उसके मूड और उसकी अभिव्यक्तियों को आब्जर्व करें. ध्यान रखें कि आपका बच्चा यूनिक Unique है और उसका भी एक व्यक्तित्व है, एक डिग्निटी है. इसलिए अपने एक बच्चे की अपने दूसरे बच्चे से कभी कोई तुलना नहीं करें. इससे उसमें तनाव के साथ-साथ हीनभावना पैदा होगी. आप अपने आप से प्रश्न करें कि आपका बच्चा सबसे ज्यादा क्या करना पसंद करता है? जब उसे कोई सब्जी खाने की, जल्दी सोने की या होमवर्क करने की इच्छा नहीं होती तो वह कैसे रिएक्ट करता है? वह दूसरे बच्चों और लोगों में कितना घुलता-मिलता है और इसमें कितना वक्त लेता है? क्या वह नहीं चीजें पसंद करता है? 
बच्चों को दी जाने वाली अटेंशन को आप किसी और काम से बांटें नहीं. जब आप बच्चे पर ध्यान देते हुए कोई दूसरा काम करते हैं तो बच्चे के भीतर से उसे समझने का अवसर खो देते हैं. दिन में कम से कम एक एक्टिविटी ऐसी प्लान करें जिसमें आप पूरा समय अपने बच्चे को ही दें. ऐसा करने से बच्चे को लगता है कि वह समय सिर्फ उसका है और वह आपसे और अधिक खुलने लगता है. 
आजकल की व्यस्त लाइफ स्टाइल में पेरेंट्स कई चीजें एक साथ करते हैं और इन कई चीजों में उनका बच्चा भी शामिल होता है. अगर आप अपने बच्चों को समझना चाहते हैं तो आपको उनके लिए समय निकालना ही पड़ेगा. आप कितने भी व्यस्त हों मगर बच्चों को समय देने का कोई विकल्प नहीं है. खाने के समय उनके साथ बैठना तथा स्कूल छोड़ने और स्कूल से लाने के लिए दिया गया समय कतई पर्याप्त नहीं है. आपको उनके साथ खेलना भी होगा और उनके साथ बात भी करनी होगी ताकि आप उन्हें अच्चे से समझ सकें. उनके साथ बात करने से आप जान पाएंगे कि उनके स्कूल में क्या चल रहा है और उनके जीवन में क्या चल रहा है. बच्चे की साइकोलॉजी समझने के लिए आपको उनसे पूछना होगा कि उनका फेवरेट टीवी शो कौनसा है? उन्हें क्या अच्छा लगता है और क्या नहीं. केवल बात करना ही काफी नहीं. जब आपके बच्चे कुछ कर रहे हों तो आप उनके पास चुप-चाप बैठकर उन्हें आब्जर्व करें और उनके मन के भीतर जो चल रहा है उसे बाहर निकाल कर उनके व्यक्तित्व को समझने की कोशिश करें. 
हर बच्चा यूनिक होता है फिर वह चाहे ज्यादा बोलने वाला हो सकता है या फिर शर्मीला हो सकता है. एक पेरेंट होने के नाते यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप अपने बच्चे के EQ को समझें और उसे एक ऐसे व्यक्तित्व के रूप में तैयार करें जो मानसिक रूप से पूरी तरह हैल्दी हो, इमोशनल हो और इंटेलीजेंट हो.

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