सौरमंडल – 3 || Solar system – 3 Uranus/Neptune/Others

इसके बाद युरेनस आता है, चलिए उसके बारे में जानते हैं –
युरेनस सूर्य का सांतवा तथा तीसरा सबसे बड़ा (व्यास से) ग्रह है। युरेनस नेपच्युन से आकार मे बड़ा लेकिन द्रव्यमान से छोटा है। व्यास के आधार पर यह सौर मण्डल का तीसरा बड़ा और द्रव्यमान के आधार पर चौथा बड़ा ग्रह है।
द्रव्यमान में यह पृथ्वी से 14.5 गुना अधिक भारी और अकार में पृथ्वी से 63 गुना अधिक बड़ा है।
युरेनस आधिनिक काल मे खोजा जाने वाला पहला ग्रह है जिसे विलियम हर्शेल ने 13 मार्च 1781 को अपनी दूरबीन से खोजा था। इसे इसके पहले भी देखा गया था लेकिन उसे तारा समझ कर उपेक्षित किया गया। वायेजर 2 ने 24 जनवरी 1986 को युरेनस की यात्रा की थी। ये मुख्यतः चट्टान और विभिन्न तरह की बर्फ से बना है जिसमे 15% हायड्रोजन और थोड़ी हीलीयम है।
यह बृहस्पति और शनि के विपरित है जो मुख्यतः हायड़्रोजन से बने है। इसके वातावरण मे 83% हायड्रोजन, 15% हीलीयम और 2% मिथेन है। अन्य गैस महाकाय ग्रहो की तरह युरेनस पर बादलो के पट्टे है जो तेज गति से बहते है। इस ग्रह का नीला रंग उसके वातावरण मे उपरी भाग मे स्थित मिथेन द्वारा लाल रंग के अवशोषण के कारण है। बृहस्पति के जैसे विभिन्न रंगो के पट्टे मौजूद हो सकते है लेकिन वे उपरी वातावरण मे मौजूद मिथेन द्वारा ढंके हुये है।
इसके वायुमंडल में एक बड़ा छेद खोजा गया है। 2022 में, अंतरिक्ष यान हबल ने यूरेनस के वायुमंडल में एक बड़ा छेद खोजा। इस छेद का व्यास लगभग 8,000 किलोमीटर है। यह छेद यूरेनस के वायुमंडल के ऊपरी परत में स्थित है, और यह एक अज्ञात कारण से बन गया है।

अब आखरी ग्रह नेपच्युन –
नेपच्युन सूर्य का आंठवा और चौथा सबसे बड़ा(व्यास से) ग्रह है। नेपच्युन युरेनस से व्यास के आधार पर छोटा लेकिन द्रव्यमान के आधार पर बड़ा ग्रह है। इसका द्रव्यमान पृथ्वी से 17 गुना अधिक है और अपने पड़ौसी ग्रह अरुण (युरेनस) से थोड़ा अधिक है। नेपच्यून को पहली बार 1846 में खोजा गया था । इस ग्रह को Jean Joseph Le Verrier ने खोजा था । यह अन्य सभी ग्रहों की तुलना में बाद में पता चला था क्योंकि यह नग्न आंखों के लिए नहीं दिखाई देता है।
नेपच्युन की यात्रा केवल एक ही अंतरिक्ष यान वायेजर 2 ने की है। नेपच्युन के बारे मे अधिकतर जानकारी इस यान द्वारा दी गयी है लेकिन हब्बल और अन्य वेधशालाओ ने भी इस ग्रह के बारे मे जानकारी जुटायी है।
इस ग्रह की संरचना युरेनस के जैसी है। यह मुख्यतः चट्टान और विभिन्न तरह की बर्फ से बना है जिसमे 15% हायड्रोजन और थोड़ी हीलीयम है। यह बृहस्पति और शनि के विपरित है जो मुख्यतः हायड़्रोजन से बने है। युरेनस और नेपच्युन मे बृहस्पति और शनि के विपरित परतदार आंतरिक संरचना नही है और उसमे पदार्थ समान रूप से वितरित है।
इनके केन्द्र मे पृथ्वी के आकार का चट्टानी केन्द्रक है। इसके वातावरण मे 83% हायड्रोजन, 15% हीलीयम और 2% मिथेन है। नेपच्युन का निला रंग उसके वातावरण मे उपरी भाग मे स्थित मिथेन द्वारा लाल रंग के अवशोषण के कारण है लेकिन किसी अन्य अज्ञात तत्व की मौजूदगी से इसके बादलो को गहरा निला रंग मीला है।

पहले प्लूटो को भी ग्रह माना जाता था, पर अब उसे ग्रहों की श्रेणी से हटा दिया गया है और उसे बौने ग्रह की श्रेणी में डाल दिया गया है। जिसके बारे में अगले विडियो में विस्तार से बात की जाएगी।
पर प्लूटो के अलावा भी सौर मंडल में बहुत से बौने ग्रह है। पर बौने ग्रह क्या होते हैं, यदि आप भी यही जानना चाहते है तो चलिए आपको बताते है ।
बौने ग्रह उन ग्रहों को कहते हैं जो आकार में ग्रहों से काफी छोटे होते हैं, हालांकि ये दूसरे ग्रहों की तरह सूर्य के केंद्र की परिक्रमा करते हैं पर ये आकार में दूसरे ग्रहों के उपग्रहों से भी छोटे होते हैं।
सौर-मंडल में इस तरह के नौ बौने ग्रह हैं, जिनके नाम हैं – प्लूटो, सायरस , हौमिया , मेक्मेक, एरीस, गोंगगोंग , क्वाओर , सेडना, और ऑर्कस ।
सौर-मंडल (Solar System Hindi) में सबसे बड़ा बौना ग्रह प्लूटो है जिसके बाद एरीस , मेक्मेक, हौमिया (Haumea) और सबसे छोटा बौना ग्रह है – सायरस। सूर्य से निकटतम दूरी के क्रम में सबसे पहले सायरस आता है फिर प्लूटो उसके बाद हौमिया, मेक्मेक और सबसे दूर एरीस है।

इसके अलावा सौर मंडल में क्षुद्र ग्रह भी पाए जाते हैं । दरअसल क्षुद्र ग्रह पथरीले और धातुओ के ऐसे पिंड है जो सूर्य की परिक्रमा करते है लेकिन इतने लघु है कि इन्हे ग्रह नही कहा जा सकता। इन्हे लघु ग्रह या क्षुद्र ग्रह कहते है। इनका आकार 1000 किमी व्यास के सेरस से 1 से 2 इंच के पत्थर के टुकडो तक है। सौर मंडल (solar system in hindi) में ये घेरा जिसे Asteroid Belt भी कहते हैं मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच की दूरी में आता है, मंगल और बृहस्पति में बहुत अधिक दूरी है।
जिसमें हज़ारों-लाखों क्षुद्रग्रह(ऐस्टरौएड) सूरज की परिक्रमा कर रहे हैं। इनमें एक 950 किमी के व्यास वाला सीरीस नाम का बौना ग्रह भी है जो अपने स्वयं के गुरुत्वाकर्षक खिचाव से गोल अकार पा चुका है।
यहाँ तीन और 400 किमी के व्यास से बड़े क्षुद्रग्रह पाए जा चुके हैं – वॅस्टा, पैलस और हाइजिआ। पूरे क्षुद्रग्रह घेरे के कुल द्रव्यमान में से आधे से ज़्यादा इन्ही चार वस्तुओं में निहित है। बाक़ी वस्तुओं का अकार भिन्न-भिन्न है – कुछ तो दसियों किलोमीटर बड़े हैं और कुछ धूल के कण मात्र हैं। खगोलशास्त्रीयों का मानना है की बहुत समय पहले ग्रहों के टूटने से ये क्षुद्रग्रहों का निर्माण हुआ था। इस क्षुद्रग्रह पट्टी में विभिन्न आकार के क्षुद्रग्रह पाये जाते हैं।
जिस तरह सौर मंडल (solar system in hindi) में क्षुद्रग्रह घेरा – Asteroid Belt है ठीक उसी तरह नेपच्युन के बाहर इसी तरह का छोटे टुकड़ो का घेरा सामने आता है जिसे Kuiper Belt कहते हैं। यह आकार में हमारी Asteroid Belt से 20 गुना बड़ी है और इस बेल्ट में तीन बौने ग्रह प्लूटो (Pluto) ,Haumea और Makemake पाये जाते हैं। सौर मंडल के ग्रहों की सीमा खत्म होने के बाद यही बेल्ट बचती है। यह बेल्ट बहुत बड़ी है और इसका कक्षापथ ही सूर्य से 50 AU के बराबर है।

और्ट क्लाउड दो हिस्सो में बाटा गया है इनर ओर्ट क्लाउड और आउटर और्ट क्लाउड, जहां इनर और्ट क्लाउड की सीमा लगभग 2000 हजार AU (ऐस्ट्रोनोमिकल युनिट) पर शुरू हो जाती है और 20 हजार ऐस्ट्रोनोमिकल युनिट तक रहती है तो वही इसके बाहरी हिस्से के बारे में वैज्ञानिक अनुमान लगाते हैं कि ये घेरा जिसमें 1 किलोमीटर से बड़े खरबों पत्थर और बर्फ के कामेट्स हैं। शायद 20 हजार से लेकर के 50 हजार ऐस्ट्रोनोमिकल युनिट से लेकर तक हो सकता है।
ये इतना बड़ा घेरा है इसके अंतिम छोर पर हमारे वायेजर 1 Probe को पहुँचने में ही 13 हजार साल लग जायेंगे। फिलहाल तो ये घेरा थ्योरी में ही है क्योंकि सूर्य की कम रोशनी और खगोलीय पिंडो का कम आकार होने के कारण इसे दूरदर्शी से खोज पाना लगभग असंभव ही है। वैज्ञानिक केवल यहां से आने वाले धूमकेतू (Comets) के जरिए ही इसका केवल एक अनुमान लगाते हैं क्योंकि इन कोमेट्स को पृथ्वी पर आने में कई हजार साल लगते हैं, जिससे पता चलता है कि ये कोमेट्स शायद किसी विशाल घेरे में रहते हों जो हमारे सूर्य से बहुत -बहुत दूर है।
तो दोस्तों आपको विडियो कैसी लगी हमें कमेन्ट करके जरुर बताएं। इसी तरह की जानकारी को पाने के लिए चैनल को सब्सक्राइब करें… डिजिटल आवाज… बेख़ौफ़ सत्य तक…

कैप्शन – वैसे तो जब हम ब्रह्माण्ड की कल्पना करते हैं तो हम तारों और ग्रहों को एक छूल के कण के बराबर मान कर चलते हैं। पर वास्तव में हम खुद ही इतने छोटे हैं कि यह जो तारे और ग्रह जो हमारे ब्रह्मांड के सामने एक धूल के कण के बराबर हैं वे ही आकार में हमारी कल्पना को मात दे देते हैं।

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