Ep-27 || Conscious Business…

अक्सर ही होता है कि एक कंपनी के मैनेजर्स और सीईओ बस कंपनी के फायदे के बारे में सोचते हैं और वे इसी बारे में अपने कर्मचारियों से बात करते हैं। इसका नतीजा यह हो हो रहा है कि आज बहुत सी कंपनियों का कल्चर खराब हो रहा है। कर्मचारी वहाँ पर सबके साथ मिलकर काम नहीं कर पाते और ना ही कंपनी अपने ग्राहकों का भरोसा जीत पाती है।
पर इसका उपाय क्या है? यदि आप भी यही जानना चाहते है तो दोस्तों स्वागत है आपका डिजिटल आवाज की सीरीज, शुक्र है किताबे हैं में –

एक कंपनी को कामयाब बनाने के पीछे उसके कर्मचारियों का और उसके लीडर का हाथ होता है। अगर आपके कर्मचारियों के अपने कुछ उसूल नहीं हैं तो जाहिर सी बात है कि वे कंपनी से पहले अपने फायदे के बारे में सोचेंगे।
अगर आपके कर्मचारियों के पास उसूल नहीं होंगे, तो वे किसी भी काम की जिम्मेदारी लेने से भागेंगे। उन्हें हर वक्त यह लगेगा कि जो कुछ भी गलत हो रहा है उसमें उनका कोई हाथ नहीं है। इसलिए वे कंपनी को ले डूबते हैं। दूसरी तरह एक काबिल और अच्छा कर्मचारी कंपनी के लिए अपने काम को समझता है और यह जानता है कि इसे कामयाब बनाने का काम उसका है। वो जिम्मेदारी लेता है और हर गलती को सुधार कर दिखाता है।
इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आप अपनी कंपनी के कर्मचारियों को काम पर रखने से पहले यह देखें कि क्या उनके उसूल कंपनी के उसूलों से मेल खाते हैं या नहीं। क्या वे जिम्मेदारी लेकर काम को पूरा कर सकते हैं या फिर अपनी नाकामी का इल्जाम किसी दूसरे के सिर पर डाल देते हैं?
इसके बाद आपको अपनी कंपनी के तीन जरूरी पहलुओं पर खास ध्यान देना होगा। सबसे पहला होता है इंपर्सनल। इसका मतलब फायदे, प्रोडक्ट की क्वालिटि और उन दूसरी चीजों से है जो एक कंपनी के लिए जरूरी तो हैं, लेकिन उनमें जान नहीं होती।
इसके बाद आता है इंटरपर्सनल जिसका मतलब कंपनी के अलग अलग लोगों के बीच के रिश्तों से है।
आखिर में आता है पर्सनल, जो यह देखता है कि क्या कंपनी का हर एक कर्मचारी खुश है या क्या उसे काम करने में कोई समस्या तो नहीं आ रही है।
ज्यादातर कंपनियां सिर्फ पहले पहलू पर ध्यान देती हैं। उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि उनके कर्मचारी किस तरह से एक दूसरे से पेश आ रहे हैं या उन्हें काम करने में क्या परेशानी आ रही है। उन्हें सिर्फ इससे मतलब होता है कि उनकी कंपनी कितना फायदा कमा रही है। इस तरह की कंपनी कभी कामयाब नहीं हो सकती। अगर वो कामयाब है, तो वह कुछ सालों में गिर जाएगी।
एक बिजनेस को आगे लेकर जाने के लिए सिर्फ फायदों के बारे में सोचना ही काफी नहीं है। हमें अपने वैल्यूज़ को अपनी कंपनी में डालना होगा और उसे कुछ खास तरह के उसूलों पर चलाना होगा। हमें कर्मचारियों के अलग अलग तरह के नजरिए को अपना एक उन्हें यह सिखाना होगा कि किस तरह से वे एक दूसरे से सीख सकते हैं। हमें उनके बीच के मतभेद को मिटा कर उनके बीच के रिश्तों को मजबूत बनाना होगा ताकि इसी मजबूती के साथ कंपनी के लिए काम कर सकें।
किस्मत के भरोसे ना बैठे, मेहनत करें और सफल बने।
धन्यवाद…

Check Also

आपके एक वोट की ताकत

कंटेंट – यदि आप वोट नहीं देने की सोच रहे हैं या यह मान रहे …