चंद्रयान-3…

भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने चंद्रयान-3 लॉन्च कर दिया है। चंद्रयान-3 दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन सेंटर से लॉन्च हुआ। ये भारत का तीसरा मून मिशन है। चंद्रयान-3 को चंद्रयान-2 का फॉलोअप मिशन बताया जा रहा है। मिशन का मकसद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करना है।

चंद्रयान-3 को LVM3-M4 रॉकेट से लॉन्च किया गया. इसे पहले GSLV MK-III के नाम से जाना जाता था. इसी रॉकेट से स्पेस एजेंसी इसरो ने चंद्रयान-2 को लॉन्च किया था.
इसरो इससे पहले साल 2008 में चंद्रयान-1 और 2019 में चंद्रयान-2 लॉन्च कर चुका है. चंद्रयान-1 में सिर्फ ऑर्बिटर था. चंद्रयान-2 में ऑर्बिटर के साथ-साथ लैंडर और रोवर भी थे. चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर नहीं होगा, सिर्फ लैंडर और रोवर ही रहेंगे. इसरो ने इस बार भी लैंडर का नाम ‘विक्रम’ और रोवर का ‘प्रज्ञान’ रखा है.
इसका मकसद भी चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराना है. चंद्रयान-2 में विक्रम लैंडर की हार्ड लैंडिंग हो गई थी. तीन महीने बाद अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने इसका मलबा ढूंढा था. इसके चार साल बाद अब फिर इसरो चंद्रयान-3 के जरिए लैंडर और रोवर को दक्षिणी ध्रुव पर उतारने की कोशिश करेगा. रोवर, एक छह पहियों का रोबोट है जो लैंडर के अंदर ही होगा और लैंडिंग के बाद बाहर आएगा.

इसरो ने जनवरी 2020 में चंद्रयान-3 लॉन्च करने का ऐलान किया था. इसे 2021 में लॉन्च किया जाना था. लेकिन कोविड की वजह से इसमें देरी हो गई.
चंद्रयान-3 में चंद्रयान-2 की तरह ऑर्बिटर तो नहीं होगा, लेकिन इसमें प्रोपल्शन मॉड्यूल होगा. इसी प्रोपल्शन मॉड्यूल के साथ लैंडर और रोवर जुड़े होंगे. जब मॉड्यूल चांद की सतह से 100 किलोमीटर दूर होगा, तब लैंडर इससे अलग हो जाएगा. लेकिन ये सब होने से पहले प्रोपल्शन मॉड्यूल चांद के कई चक्कर भी काटेगा.
चांद पर लैंडर के उतरने के बाद इसी से रोवर बाहर आएगा. इस मिशन की लाइफ 1 लूनर डे होगी. चांद पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है.
23 या 24 अगस्त को ये चांद की सतह पर लैंड कर सकता है. हालांकि, ये तारीख आगे-पीछे भी हो सकती है. हो सकता है कि सितंबर भी में हो. चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को लॉन्च किया गया था, लेकिन 6-7 सितंबर को विक्रम लैंडर की क्रैश लैंडिंग हो गई थी.

चंद्रयान-3 का भी वही मकसद है, जो चंद्रयान-2 का था. यानी, चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करना. इसरो के इस तीसरे मून मिशन की लागत करीब 615 करोड़ रुपये बताई जा रही है.

इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 के तीन मकसद हैं. पहला- विक्रम लैंडर की चांद की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग करना. दूसरा- प्रज्ञान रोवर को चांद की सतह पर चलाकर दिखाना. और तीसरा- वैज्ञानिक परीक्षण करना.
अगर चंद्रयान-3 का लैंडर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंड कर जाता है तो ऐसा करने वाला भारत चौथा देश होगा. इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन चांद की सतह पर लैंडर उतार चुके हैं. हालांकि, दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर उतारने वाला भारत पहला देश होगा. आजतक किसी भी देश ने दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर नहीं उतारा है.
जिस तरह से पृथ्वी का दक्षिणी ध्रुव सबसे ठंडा है, उसी तरह का चांद का भी है. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अगर कोई अंतरिक्ष यात्री खड़ा होगा, तो उसे सूर्य क्षितिज की रेखा पर नजर आएगा. वो चांद की सतह से लगता हुआ और चमकता नजर आएगा.
इस इलाके का ज्यादातर हिस्सा छाया में ही रहता है. क्योंकि सूर्य की किरणें दक्षिणी ध्रुव पर तिरछी पड़ती हैं. इस कारण यहां तापमान कम होता है. अनुमान के मुताबिक, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर तापमान -100 डिग्री से भी नीचे चला जाता है.
पहले चंद्रयान-2 और अब चंद्रयान-3 के जरिए इसरो चांद के दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है. ये चांद की वो जगह है, जहां अब तक कोई भी पहुंच नहीं सका है.
ऐसा अंदाजा है कि हमेशा छाया में रहने और तापमान कम होने की वजह से यहां पानी और खनिज हो सकते हैं. इसकी पुष्टि पहले हुए मून मिशन में भी हो चुकी है.
अगर चंद्रयान-3 के जरिए दक्षिणी ध्रुव पर पानी और खनिज की मौजूदगी का पता चलता है तो ये अंतरिक्ष विज्ञान के लिए बड़ी कामयाबी होगी.
यही वजह है कि अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा भी दक्षिणी ध्रुव पर जाने की तैयारी कर रही है. अगले साल नासा इस हिस्से पर अंतरिक्ष यात्रियों को उतारेगा. अप्रैल 2019 में नासा की एक रिपोर्ट आई थी. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि चांद के इस अनदेखे हिस्से पर पानी होने की संभावनाओं के कारण ही यहां अंतरिक्ष यात्री भेजे जाएंगे. नासा के मुताबिक, चांद पर लंबे समय तक रिसर्च करने के लिए पानी बहुत जरूरी संसाधन है.
नासा की रिपोर्ट में कहा गया था कि ऑर्बिटरों से परीक्षणों के आधार पर कहा जा सकता है कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ है और यहां दूसरे प्राकृतिक संसाधन भी हो सकते हैं. फिर भी इस हिस्से के बारे में बहुत सी जानकारियां जुटाना बाकी हैं.
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