https://youtu.be/s7yUVsZ7Yx0 आमतौर पर जब लोग मनोविज्ञान की बात करते हैं तो वे आत्म-विकास की बात कर रहे होते हैं। लेकिन जब हम आध्यात्मिकता के बारे में बात करते हैं, तो हम आंतरिक शांति की ओर जाने वाली यात्रा की बात कर रहे होते है। हममें से अधिकांश लोगों के मन में अक्सर घर और काम पर चल रही कोई न कोई परेशानियों के विचार और भावनाएँ बार-बार आती रहती है। दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक और आध्यात्मिक परम्पराओं में भी भावनाओं को विशेष स्थान दिया गया है। इस तरह यदि देखा जाये तो भावनाएं दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं के केंद्र होती है। ये भावनाएं हमें एहसास दिलाती हैं कि भले ही हम सभी सफलता और प्रशंसा चाहते हैं, लेकिन साथ में हम पैसा और आध्यात्मिक पूर्ति भी खोज रहे हैं।जब मनोवैज्ञानिक चुनौतियों की बात आती है तो हम एक सामान्य मनोवैज्ञानिक समाधानकी तलाश करते है जिसे मनोवैज्ञानिक समस्याओं से संबोधित किया जा सकता है। खैर, हमेशा ऐसा ही मामला नहीं होता है। चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक अवरोधों के साथ मन में चलने वाले अनेकों प्रश्न हमारे सामने अनेक चुनौतियाँ पेश करते हैं। इसी तरह, हताशा के व्यक्तिगत अनुभव हमारे परिवार या कार्यस्थल के भीतर कई अन्य मुद्दों को दर्शा सकते हैं।“कई बार, जीवन में हमारी दिन-प्रतिदिन की सफलता को परिभाषित करने वाली हमारी भूमिकाएँ ठीक वैसी नहीं होती जैसा हम सोचते हैं|”जैसे जो काम जितना आसान लगता है वह करने पर उतना ही मुश्किल हो जाता है। पर अगर किसी काम को करने में मन लगने लग जाये तो वह काम आसान ही बना रहता है। आध्यात्म का मनोविज्ञान भी एसे ही काम करता है। यदि आप आध्यात्म के रास्ते पर चलने लगते हैं तो चलने से पहले वह आपको बहुत आसान लगता है पर फिर आपका मन बगावत करने लगता है और आप बीच रस्ते से लौट आते हैं। ऐसी स्थितियों में अधूरी सामाजिक और व्यक्तिगत जरूरत अक्सर हमें निराश कर देती हैं। आइंस्टीन ने कहा है - वैज्ञानिक विचार आध्यात्मिक विचार का भौतिक रूप है । मानव के विकास के दो रूप है भौतिक और मानसिक । विज्ञान भौतिक विकास करता है और अध्यात्म मानसिक ।अध्यात्मशास्त्र सबसे पुराना शास्त्र हैं और उसमें केवल मन के बारे में ही नहीं बल्कि वह सारे सिद्धांत भी प्रस्थापित किये गये हैं जो अणु रेंणु से लेकर समस्त ब्रह्माण्डीय ज्ञान, विज्ञान तथा सारे अनसुलझे रहस्यों के बारें में जानकारी देते हैं।मनोविज्ञानशास्त्र अभी पिछले कुछ सालों के पूर्व अस्तित्व में आया शास्त्र हैं । और यह केवल और केवल मन का शास्त्र हैं । मनोविज्ञानशास्त्र, मन जिस तरह से बर्ताव करता हैं उसे बताता है। साथ ही यह इन्सानी स्वभाव की प्रतिक्रिया और प्रतिक्रिया के फायदे नुकसान के बारे में भी बताता हैं । मनोविज्ञान शास्त्र भी मन की असीमित क्षमता होने को जानता तथा मानता हैं । किन्तु यह मन की तह तक आज तक नहीं पहुंच पाया हैं । पर, इस पर अनुसन्धान आज भी जारी हैं ।हा यह जरुर कह सकते हैं की मानसशास्त्र का अभ्यास करने से आध्यात्मिकशास्त्र को समझने में आसानी हो सकती हैं ।