क्या वसुंधरा के आगे चलेंगे कांग्रेस के प्रयोग…

आजादी के बाद राजा और उनकी राजशाही भले ही खत्म हो गई, लेकिन पूर्व राजपरिवारों का राजस्थान की सियासत में आज भी खासा दखल है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों ने इस बार भी पूर्व राजपरिवार के सदस्यों को मैदान में उतारा है।
बीजेपी से 5 सदस्य चुनावी रण में हैं, जिनमें 4 महिलाएं शामिल हैं। वहीं कांग्रेस से राजपरिवार के एक सदस्य ही मैदान में हैं। राजपरिवारों से होना ही जीत की गारंटी नहीं होता है, लेकिन इन्होंने इस चुनाव को रोचक जरूर बना दिया है।
राजस्थान की राजनीति में राजपरिवारों की पहले लोकसभा चुनाव से ही एंट्री हो गई थी। कई-कई सालों से ये परिवार आज भी सियासी पारी में जमे हुए हैं। कांग्रेस-भाजपा की तुलना करें तो कांग्रेस की बजाय भाजपा को पूर्व राजपरिवार ज्यादा पसंद हैं।
धौलपुर के पूर्व राजपरिवार की वसुंधरा राजे प्रदेश की तीन बार सीएम रह चुकी हैं। वे झालरापाटन विधानसभा सीट से 2003 से लगातार विधायक चुनी जा रही हैं। एक बार केन्द्रीय मंत्री और लगातार 5 बार सांसद भी रह चुकी हैं। इस बार भी वे चुनावी रण में हैं।
जयपुर के पूर्व महाराजा भवानी सिंह की बेटी दीया कुमारी विधाधर नगर विधानसभा सीट से तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं।
25 वर्षों तक बीकानेर के सांसद रहे पूर्व महाराजा करणी सिंह की पोती पूर्व राजकुमारी सिद्धि कुमारी लगातार 3 बार से भाजपा विधायक हैं और अब एक बार फिर मैदान में है।
उदयपुर का पूर्व राजपरिवार भी 25 साल बाद चुनाव मैदान में है। मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वराज सिंह मेवाड़ नाथद्वारा से पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। विश्वराज सिंह बीजेपी के प्रत्याशी हैं। करीब तीन दशक पूर्व विश्वराज सिंह के पिता महेंद्र सिंह राजनीति में सक्रिय थे। अब विश्वराज सिंह विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के सामने चुनाव में उतरे हैं।
कोटा के पूर्व राजपरिवार की सदस्य कल्पना देवी लाडपुरा से मौजूदा विधायक हैं और एक बार फिर मैदान में हैं। उनके सामने कांग्रेस ने नईमुद्दीन गुड्डू को उतारा है।
डीग- कुम्हेर से कांग्रेस सरकार में पूर्व मंत्री रहे विश्वेंद्र सिंह, तीन बार विधायक और तीन बार सांसद रहे।

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