फोन टैपिंग मामले में सीएम अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा की राहत बरकरार है। आज दिल्ली हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने लोकेश शर्मा की गिरफ्तारी पर रोक बरकरार रखते हुए सुनवाई 18 अक्टूबर तक टाल दी है।
सुनवाई के दौरान लोकेश शर्मा की ओऱ से पैरवी करते हुए सीनियर वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने दिल्ली पुलिस के तमाम आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने कहा कि मामले में 8 महीने बाद मुकदमा दर्ज हुआ। लेकिन दिल्ली पुलिस ने देरी से मुकदमा दर्ज होने का कोई कारण नहीं बताया।
दरअसल, यह पूरा मामला साल 2020 के राजस्थान के सियासी सकंट से जुड़ा हुआ है। उस समय लोकेश शर्मा ने मीडिया को एक ऑडियो क्लिप जारी की थी। इसमें कहा गया था कि सरकार को गिराने के लिए गजेन्द्र सिंह नामक व्यक्ति, एक विधायक व एक दलाल की बातचीत इस ऑडियो क्लिप में हैं।
सुनवाई के दौरान लोकेश शर्मा के वकील ने कहा कि राजस्थान सरकार पहले ही कह चुकी है कि उसने कॉल इंटरसेप्ट किए हैं। इसके लिए विभाग के अधिकारी जिम्मेदार हो सकते हैं। लोकेश शर्मा मीडिया में ऑडियो सर्कुलेट करने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं, लेकिन अवैध रिकॉडिंग के लिए कैसे जिम्मेदार हो सकते हैं?
उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने 3 नम्बरों के बीच कॉन्फ्रेंस कॉल होना बताया। उन तीनों में से एक भी नंबर शिकायतकर्ता (गजेंद्र सिंह शेखावत) का नहीं हैं। ऐसे में शिकायतकर्ता कैसे आरोप लगा सकते हैं कि उनका कॉल रिकॉर्ड किया गया। पूरा घटनाक्रम राजस्थान में घटित होना पाया गया। फिर दिल्ली पुलिस कैसे एफआईआर दर्ज कर सकती है। तीनों नंबर के उपभोक्ता भी दिल्ली से नहीं हैं।
Check Also
संसद के शीतकालीन सत्र का 14वां दिन…
संसद के शीतकालीन सत्र का गुरुवार (21 दिसंबर) को चौदहवां दिन है। दोनों सदनों की …