Kaala Review

अब तक हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे विषय पर कई फिल्में और  बेव सीरीज का निर्माण हो चुका है। ओटीटी प्लेटफार्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हुई वेब सीरीज ‘काला’ के जरिए टी सीरीज भी वेब सीरीज के निर्माण में कदम रख रही है। इस सीरीज का निर्माण भूषण कुमार और किशन कुमार ने सीरीज के निर्देशक बिजॉय नांबियार के साथ मिलकर किया है। इस सीरीज की मुख्य कड़ी अभिनेता अविनाश तिवारी हैं। 

पर इस वेब सीरीज में क्या है खास, यदि आप भी यही जानना चाहते है तो दोस्तों स्वागत है आपका डिजिटल आवाज की सीरीज, फ़िल्मी गुरुकुल में| 

वेब सीरीज ‘काला’ की कहानी मूलरूप से अविनाश तिवारी के किरदार ऋत्विक मुखर्जी के इर्द गिर्द घूमती है। ऋत्विक मुखर्जी एक आईबी ऑफिसर है, जिसे देश के बड़े बिजनेसमैन नमन आर्य के गैरकानूनी धंधे के बारे में जब पता चलता है, तो वह नमन आर्य के खिलाफ छानबीन शुरू करता है। इस छानबीन में ऋत्विक को पता चलता है कि नमन आर्य अपनी बिजनेस के आड़ में हवाला का काम बहुत बड़े स्तर पर कर रहा है। ऋत्विक मुखर्जी, नमन आर्य के खिलाफ सबूत इकट्ठे करना शुरू करता है, लेकिन इसी दौरान ऋत्विक मुखर्जी को ही फंसा दिया जाता है। यहां से खुद को निर्दोष साबित करने की जद्दोजहद शुरू होती है। आठ एपिसोड की यह सीरीज पूरी तरह से सस्पेंस, टर्न और ट्विस्ट से भरी पड़ी है।

वेब सीरीज ‘काला’ जबरदस्त क्राइम ड्रामा और सस्पेंस से भरपूर वेब सीरीज है, जिसमें  हवाला की दुनिया के साथ -साथ सत्ता की भूख और हवस को दिखाया गया। सीरीज में एक्शन और ड्रामा की टाइमिंग परफेक्ट लगती है, दर्शक बोर न हो इस लिए बीच में कॉमेडी का तड़का भी लगा दिया गया है। लेकिन शुरुआत बहुत धीमी है। इस सीरीज को अलग आठ एपिसोड की बजाय सात एपिसोड में बनाया गया होता तो सीरीज की कहानी चुस्त लगती है। ड्रामा को क्रिएट करने के चक्कर में बीच -बीच में कहानी थोड़ी सी बोझिल सी लगने लगती है। लेकिन हर एपिसोड की कहानी एक ऐसे मोड़ पर खत्म होती है कि अगला एपिसोड देखने की जिज्ञासा पैदा हो जाती है।

सीरीज के निर्देशक बिजॉय नांबियार ने एक बेजोड़ कहानी पेश करने की कोशिश तो की है। लेकिन सस्पेंस वाले दृश्यों में कुछ खास प्रभाव नहीं छोड़ पाए। इसकी सबसे बड़ी वजह सीरीज का बैकग्राउंड म्यूजिक है। अगर बैकग्राउंड म्यूजिक पर थोड़ा सा और ध्यान दिया गया होता तो सीरीज के सस्पेंस वाले दृश्य थोड़ा सा और उभर कर आता। यह इस सीरीज का बहुत ही कमजोर पहलू है। सीरीज की पृष्ठभूमि कोलकाता की है। इस वजह से  कहीं-कहीं बंगाली भाषा का इस्तेमाल किया गया है।

डिजिटल आवाज… बेख़ौफ़ सत्य तक …

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