ज्योतिष तथा वास्तु द्वारा करें क्रोध पर नियंत्रण…

गीता में योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने मनुष्य के पतन के तीन कारण बताए हैं, काम, क्रोध और लोभ। ये ऐसे विकार हैं जो मनुष्य को प्रतिकूल स्थिति की ओर ले जाते हैं। जो व्यक्ति जीवन में किसी चीज या स्थिति से असन्तुष्ट हैं, वे अधिक क्रोध करते हैं। क्रोध में सबसे पहले व्यक्ति की जबान अपना आपा खोती है और वह सब कहती है, जो नहीं कहना चाहिए। गुस्सा एक बवंडर के समान है, जो जाने के बाद बर्बादी के निशान छोड़ जाता है। ज्योतिष और वास्तुशास्त्र का पालन कर क्रोधी व्यक्ति के स्वभाव में काफी हद तक परिवर्तन किया जा सकता है। पर वो परिवर्तन कौनसे है, यदि आप भी यही जानना चाहते हैं तो दोस्तों स्वागत है आपका डिजिटल आवाज की सीरीज शनिवारी शकुन शास्त्र में, तो विडियो को बिना स्किप करे अंत तक देखते रहिये, चलिए विडियो शुरू करते हैं –

वास्तुशास्त्र के अनुसार दक्षिण-पूर्व की दिशा जिसे अग्निकोण कहते हैं, में बैठने या सोने से क्रोध बढ़ता है, इसलिए अगर किसी व्यक्ति का गुस्सा दिनों- दिन बढ़ता जा रहा हो, तो पहले वास्तुशास्त्र की मदद लेकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कहीं उसका शयनकक्ष अथवा व्यक्ति के बैठने की जगह अग्निकोण में तो नहीं है। कार्यालयों में भी जो कर्मचारी अग्निकोण में बैठते हैं, उनका स्वभाव आक्रमक होने लगता है।
अगर बॉस का कमरा अग्निकोण में हो, तो कर्मचारियों पर अक्सर बॉस का गुस्सा उतरता है। अतः वास्तुशास्त्र के अनुसार मालिक या उच्च पदस्थ व्यक्तियों को अग्निकोण की जगह नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) में बैठकर कार्यालय की गतिविधियों का संचालन करना चाहिए।
यदि बहुत अधिक क्रोध आता है तो प्रयास करने के बाद भी नियंत्रित न हो रहा हो तो वास्तु के इन महत्वपूर्ण नियमों को अवश्य देखा जाना चाहिए। अधिकांश लोगों को कहते सुना जा सकता है, कि जिसे बहुत क्रोध आता हो, तो उसे मोती धारण कराना चाहिए, जिससे क्रोध छूमंतर हो जाए। वास्तविक स्थिति देखें तो जिन लोगों की जन्मकुण्डली में चन्द्रमा योगकारक होगा, उन्हें ही मोती सूट करता है।
जिनकी कुण्डली में चन्द्रमा अकारक हो अथवा अशुभ स्थान पर बैठा हो, तो ऐसे व्यक्तियों को मोती पहनने से विपरीत परिणाम मिलने लगते हैं। रत्न हमेशा योगकारक ग्रहों का ही पहनना चाहिए, इसलिए सिर्फ क्रोध कम करने के लिए बिना कुण्डली देखे सभी व्यक्तियों को एक- समान मोती पहनाना उचित नहीं रहता है।

इसके अलावा भी कुछ उपाय है –
सोते समय सिर हमेशा पूर्व अथवा दक्षिण दिशा की ओर करें, सिरहाने की तरफ क्रिस्टल बॉल अथवा एक प्लेट में फिटकरी का टुकड़ा रखें।
अगर जन्मकुण्डली में चन्द्रमा का सम्बन्ध शुभ भाव से हो अथवा चन्द्रमा लग्नेश जैसी शुभ भूमिका में हों, तो ही मोती धारण करें। मोती को विशेष प्रभावशाली बनाने के लिए सोमवार के दिन शुभ मुहूर्त देखकर मोती के नीचे चांदी का अर्द्धचन्द्रमा जड़वाकर क्रोधी व्यक्ति के गले में धारण कराऐं।
घर अथवा कार्यालय के अग्निकोण में नहीं बैठना चाहिए।
प्रतिदिन सूर्य नमस्कार एवं प्राणायाम करें जिससे तन-मन दोनों की शक्ति का विकास हो सके। क्रोध जैसी व्याधियों पर विजय पाने के लिए एवं स्वस्थ निरोगी जीवन जीने के लिए प्राणायाम और सूर्य नमस्कार अचूक अस्त्र है।

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